Tuesday, 9 January 2018

संसदीय समिति ने रेलवे से पूछा, लक्जरी ट्रेनें कम यात्रियों के साथ क्यों चल रही हैं और पूछा, लक्जरी ट्रेनों के लिए मुफ्त टिकट क्यों अधिकारियों को वितरित किए जा रहे हैं?


संसद की स्थायी समिति ने कहा, लक्ज़री ट्रेनें 70 प्रतिशत ख़ाली सीटों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं. यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से न लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की.

नई दिल्ली: संसद की एक स्थायी समिति ने रेलवे से पूछा है कि वह लक्जरी ट्रेनों का परिचालन सिर्फ 30 प्रतिशत बुकिंग के साथ क्यों कर रही है. रेल पर संसद की स्थायी समिति ने 4 जनवरी को संसद में पर्यटन संवर्द्धन और तीर्थाटन सर्किट पर अपनी रिपोर्ट पेश की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय को स्थिति-सुधार के उपाय करने चाहिए. समिति के अनुसार महाराजा एक्सप्रेस, गोल्डन चैरियट, रायल राजस्थान आन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी और पैलेस आन व्हील्स ट्रेनों में 2012 से 2017 के दौरान खाली सीटों की संख्या क्रमश: 62.7 प्रतिशत, 57.76 प्रतिशत, 45.46 प्रतिशत और 45.81 प्रतिशत रही है.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंध्योपाध्याय की अगुवाई वाली समिति ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला मामला महाराजा एक्सप्रेस का है. यह ट्रेन पूरी तरह भारतीय रेल द्वारा चलाई जाती है. 2012-13, 2103-14, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में इस ट्रेन में यात्रियों की औसत संख्या क्षमता के क्रमश:29.86 प्रतिशत, 32.33 प्रतिशत, 41.8 प्रतिशत, 41.58 प्रतिशत और 36.03 प्रतिशत रही.


यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जबकि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने व्यापार और यात्रा पर अंशधारकों के साथ पहला परिचर्चा सत्र आयोजित किया है. रेलवे की इस पहल का मकसद रेलवे के माध्यम से पर्यटन को प्रोत्साहन देना है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने लक्जरी ट्रेनों में यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से नहीं लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की है. समिति ने कहा है कि मंत्रालय को इसकी उचित तरीके से समीक्षा के बाद बताना चाहिए कि ऐसी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं.


लक्ज़री ट्रेनों में यात्रा के लिए मुफ़्त में टिकट देने के लिए संसद की एक स्थायी समिति ने रेलवे की खिंचाई की.

नई दिल्ली: संसद की एक स्थायी समिति ने केवल 30 प्रतिशत सीटें भर पाने के बावजूद लक्जरी ट्रेनों में यात्रा के लिए मुफ्त में कुछ यात्रियों को टिकट भेंट किए जाने पर रेलवे की खिंचाई की है.

संसदीय समिति ने एक हालिया रिपोर्ट में सैकड़ों यात्रियों के नाम का जिक्र किया है, जिन्होंने रेलवे बोर्ड और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के अधिकारियों की सिफारिश पर पांच लक्जरी ट्रेनों में मुफ्त में यात्रा की जिनका किराया 500 से 650 डॉलर मौजूदा विनिमय दर के मुताबिक 31,637-41,128 रूपये के बीच होता है.

अधिकतर सवारी रेलवे के अधिकारी होते हैं.

सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कमेटी इसका जिक्र करते हुए निराश है कि या तो रेलवे बोर्ड या आईआरसीटीसी या राज्य पर्यटन विकास निगम की सिफारिश पर इन लक्जरी ट्रेनों में मुफ्त में पेश टिकट के जरिए यात्रा का प्रावधान जारी है.’

इसमें कहा गया है कि ऐसी ट्रेनों में महज 30 प्रतिशत सीटें भर पाती है.


राज्य पर्यटन विकास निगमों के साथ तालमेल से रेलवे की आईआरसीटीसी लक्जरी पर्यटक ट्रेन प्रीमियर सेवायें देती हैं.

रेलवे महाराजा एक्सप्रेस, गोल्डन चैरीअट, रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी और पैलेस ऑन व्हील्स सहित पांच लक्जरी ट्रेनों का परिचालन करता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराजा एक्सप्रेस में 2012-13 में 30 यात्रियों, 2013-14 में 97, 2014-15 में 53 और 2015-2016 में 73 यात्रियों ने मुफ्त में यात्रा की.


रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह समझ में नहीं आ रहा कि भेंट के रूप में यात्रा पेशकश की क्या जरूरत है, ऐसे में जब ये लक्जरी ट्रेनें अपने परिचालन खर्चे को पूरा करने के लिए मुश्किल से राजस्व जुटा पाती हैं.’

No comments:

Post a Comment

Popular Posts (Last 30 Days)

Popular News (All Ever Green)