बैंकों ने 200 रुपये के नये नोट के लिए एटीएम मशीनों को पुनर्व्यवस्थित करना शुरू किया, ख़र्च होंगे 120 करोड़ रुपये.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार अभी तक नोटबंदी और जीएसटी के फायदे गिनाते नहीं थक रही थी, लेकिन अब वही सरकार संसद में कह रही है कि इस बात का सटीक आकलन कर पाना मुश्किल है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और जीएसटी का क्या असर हुआ है.
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश की संपूर्ण आर्थिक प्रगति कई कारकों पर निर्भर करती है और इसका सटीक आकलन कर पाना मुश्किल है कि नोटबंदी और जीएसटी का अर्थव्यवस्था पर क्या असर हुआ है.
लोकसभा में रवींद्र विनाथ गायकवाड़ के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की संपूर्ण आर्थिक प्रगति कई कारकों पर निर्भर करती है जिसमें पूंजी निर्माण और बचत दर, प्रौद्योगिकी के उपयोग, अवसंरचना की उपलब्धता, संसाधन आवंटन दक्षता, संस्थाओं की गुणवत्ता, मौजूदा अभिशासन एवं नीति संबंधी ढांचे, मुद्रा आपूर्ति और वित्तीय विकास की स्थिति शामिल है.
उन्होंने कहा कि इस बात का सटीक आकलन कर पाना मुश्किल है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और जीएसटी का क्या असर हुआ है.
मंत्री ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को और मजबूत बनाने के लिए अनेक पहल की है जिनमें विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना, परिवहन तथा शहरी एवं ग्रामीण बुनियादी ढांचे के लिए ठोस उपाय करना और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए व्यापक सुधार करना शामिल हैं.
बैंकों ने एटीएम मशीनों को पुनर्व्यवस्थित करना शुरू किया
बैंकों ने 200 रुपये के नये बैंकनोट के लिए एटीएम मशीनों को पुनर्व्यवस्थित करना शुरू कर दिया है. उद्योग जगत के विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रक्रिया में बैंकों को 100-120 करोड़ रुपये का खर्च उठाना पड़ सकता है.
देश में करीब 2.4 लाख एटीएम मशीनें हैं जिनमें करीब 30 हजार रिसाइक्लर मशीनें भी शामिल हैं. रिसाइक्लर मशीनें पैसा देने और पैसा जमा करने में भी सक्षम है. 200 रुपये के नोट अगस्त में पेश किये गए थे.
एटीएम बनाने तथा इससे संबंधित सेवाएं देने वाली कंपनी एनसीआर कॉरपोरेशन इंडिया के प्रबंध निदेशक नवरोज दस्तूर ने कहा, हमने एटीएम को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए एक इंजीनियर को हर मशीन का दौरा करना होगा.
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