एक महिला पांच वर्षों तक रक्त कैंसर से जूझती रही थी और अंत में हल्दी के सेवन से वह ठीक हो गई है। डाईनेके फर्ग्यूसन अब उस गंभीर बीमारी से निजात पाने के बाद सामान्य जीवन जी रही है। डॉक्टरों का कहना है कि उनका पहला ऐसा मामला है जिसमें मरीज को पारंपरिक चिकित्सा से ठीक किया गया है।
केमोथेरेपी और चार स्टेम कोशिका प्रत्यारोपण के तीन राउंड के बाद तेजी से फैलते हुए कैंसर के चलते 67 वर्षीय फर्ग्यूसन ने एक दिन में 8 ग्राम हल्दी का सेवन शुरू किया था। हल्दी में कैंसर को खत्म करने के चमत्कारिक गुण होते हैं। इसके इस्तेमाल से उत्तर लंदन की श्रीमती फर्ग्यूसन सामान्य हो गई हैं।
डाक्टरों के अनुसार कैंसर के उपचार के लिए गोलियां महंगी होती हैं। अब उसके कैंसर सेल की संख्या नगण्य है। लंदन में बैर्ट्स हेल्थ एनएचएस ट्रस्ट के डॉक्टरों ने ब्रिटिश मेडिकल जर्नल केस रिपोर्ट्स में इस सम्बन्ध में लिखा है कि यह पहली रिपोर्ट है जिसमें हल्दी ने बीमारी को सही किया है।
डॉ. अब्बास जैदी के नेतृत्व में विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ मरीजों ने पारंपरिक उपचार के साथ इसकी खुराक ली थी जो सफल रही। वे सुझाव देते हैं कि मसालों के सेवन से कैंसर के साथ ही अल्जाइमर, हृदय रोग और अवसाद से भी बचा जा सकता है।
डॉक्टरों ने लिखा है कि हल्दी की जैविक गतिविधि वास्तव में उल्लेखनीय है’ जिसमें ‘ट्यूमर कोशिकाओं की एक विस्तृत विविधता में एंटी-प्रोलिफायर प्रभाव’ शामिल है लेकिन प्रोफेसर जेमी कवेबाघ कहते हैं यह उपचार सभी रोगियों के लिए काम नहीं कर सकता। डीएनएके का सबसे अच्छा प्रतिसाद मैंने देखा है और यह स्पष्ट है क्योंकि हमने अन्य सभी उपचार रोक दिए हैं।
मिस्त्री फर्ग्यूसन जो हिल्ड आर्ट चलाती हैं और कलाकारों के लिए काम करने वाले एक गैर लाभकारी संगठन की मदद भी करती हैं। कई डॉक्टर इसकी सिफारिश नहीं कर सकते और चाहते हैं कि वे और अधिक शोध करें। मायलोमा प्रत्येक वर्ष ब्रिटेन में 5,500 लोगों को प्रभावित करता है जबकि इससे लगभग 3,000 की मौत होती है।
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